Calcutta और Kolkata में फर्क – नाम नहीं सोच का बदलाव

क्या आपने कभी सोचा है कि calcutta and kolkata difference  “कलकत्ता” और “कोलकाता” में आखिर फर्क क्या है? दोनों एक ही शहर को दर्शाते हैं, फिर दो नाम क्यों? ये सिर्फ नाम का अंतर नहीं है, बल्कि इसके पीछे इतिहास, संस्कृति और राजनीति की गहराई छिपी हुई है। आज मैं आपको अपने अनुभव और रिसर्च के जरिए बताने वाला हूँ कि इन दोनों नामों के बीच क्या सच्चा अंतर है और क्यों ये फर्क मायने रखता है।

Table of Contents


Mumbai weather 1

कोलकाता का संक्षिप्त इतिहास

कोलकाता, जिसे पहले कलकत्ता के नाम से जाना जाता था, भारत के पूर्वी हिस्से में स्थित एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शहर है। यह शहर न केवल ब्रिटिश राज के दौरान भारत की राजधानी रहा, बल्कि बंगाल की कला, साहित्य और राजनीतिक जागरूकता का भी गढ़ रहा है। कोलकाता आज भी अपनी विरासत, सिटी ऑफ़ जॉय की पहचान और विविधता के लिए जाना जाता है।


कलकत्ता नाम की शुरुआत कैसे हुई?

“कलकत्ता” नाम का उद्गम इतिहास के पन्नों में थोड़ा रहस्यमय ज़रूर है, लेकिन सबसे अधिक मान्यता प्राप्त सिद्धांत यह कहता है कि इसका नाम “कलिकाता” गाँव से पड़ा, जो कि तीन गाँवों में से एक था – सुतानुटी, गोविंदपुर और कलिकाता – जिनका एकीकरण बाद में कोलकाता शहर के रूप में हुआ। अंग्रेजों ने जब 1690 के आसपास यहाँ अपना व्यापारिक ठिकाना बनाया, तो उन्होंने “Kalikata” को अपनी उच्चारण शैली में बदलकर “Calcutta” कहना शुरू किया।

यह नाम अंग्रेजों के प्रशासनिक दस्तावेज़ों और नक्शों में फैल गया और लंबे समय तक यही शहर की आधिकारिक पहचान बना रहा।


कोलकाता नाम कब और क्यों आया?

1990 के दशक में, जब भारत में औपनिवेशिक नामों को भारतीय भाषाओं के अनुरूप बदलने का चलन शुरू हुआ, तो पश्चिम बंगाल सरकार ने “कलकत्ता” को “कोलकाता” के रूप में पुनः नामित करने का प्रस्ताव रखा। यह कदम 2001 में आधिकारिक रूप से लागू किया गया।

“कोलकाता” नाम बंगाली भाषा के उच्चारण के करीब है और इस बदलाव का उद्देश्य था – अपनी स्थानीय संस्कृति, भाषा और पहचान को सम्मान देना। इसे एक post-colonial reclamation यानी उपनिवेशवाद के बाद अपनी पहचान को पुनः प्राप्त करने का कदम माना गया।

British Era vs Modern India

इतिहास गवाह है कि भारत में अंग्रेजी शासन ने न सिर्फ हमारी राजनीतिक व्यवस्था को बदला, बल्कि हमारे शहरों के नाम, पहचान और मूल संस्कृति को भी प्रभावित किया। कोलकाता, यानी पहले का “कलकत्ता”, इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।


कलकत्ता: औपनिवेशिक युग की राजधानी

ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने जब भारत में व्यापार की शुरुआत की, तो उनका सबसे मजबूत ठिकाना बना बंगाल। 1772 में कलकत्ता को अंग्रेजों ने ब्रिटिश इंडिया की राजधानी घोषित किया।

यहाँ से भारत के बड़े हिस्से पर नियंत्रण किया जाता था। कलकत्ता ब्रिटिश शासन की चमक-दमक, गोरे अधिकारियों की कोठियों, और अंग्रेजी स्थापत्य शैली के भवनों का केंद्र बन गया था।

हालाँकि, इस काल में भारतीय संस्कृति को हाशिये पर डाल दिया गया और कलकत्ता पूरी तरह से एक औपनिवेशिक प्रतीक बन गया।


कोलकाता: भारतीय संस्कृति और आधुनिकता का संगम

आज का कोलकाता, एक नया चेहरा है – जहाँ इतिहास और आधुनिकता दोनों हाथ थामे चलते हैं। नाम परिवर्तन के साथ ही इस शहर ने अपनी भारतीयता को पुनर्जीवित किया

“कोलकाता” अब केवल एक शहर नहीं, बल्कि बंगाली साहित्य, कला, संगीत, थियेटर और राजनीतिक चेतना का प्रतीक बन चुका है।

यहाँ रवींद्रनाथ ठाकुर से लेकर सत्यजीत रे तक, सबका प्रभाव दिखाई देता है। कोलकाता ने न केवल अंग्रेजी प्रभाव से निकलकर अपनी पहचान बनाई, बल्कि इसे सहेजते हुए आधुनिक विकास की ओर भी कदम बढ़ाए हैं।


Calcutta और Kolkata में अंतर – नाम से आगे क्या?

अब सवाल उठता है – क्या फर्क सिर्फ नाम का है? नहीं। बदलाव कहीं ज्यादा गहराई लिए हुए है। यह नाम का नहीं, मानसिकता और आत्म-सम्मान का फर्क है।


प्रशासनिक बदलाव और पहचान

जब “कलकत्ता” का नाम बदलकर “कोलकाता” किया गया, तो प्रशासनिक दस्तावेज़ों, पते, सरकारी पहचान पत्रों और मानचित्रों में भी यह बदलाव दर्ज किया गया।

यह सिर्फ surface level बदलाव नहीं था – यह दिखाता है कि अब शहर खुद अपनी संस्कृति और भाषा के हिसाब से आगे बढ़ रहा है।

बड़ी-बड़ी सरकारी इमारतें, नगर निगम के दस्तावेज़, स्कूलों की पाठ्यपुस्तकें – सबने “कोलकाता” को अपनाया और इससे एक आधिकारिक और सांस्कृतिक पुनर्जन्म का संदेश गया।


सांस्कृतिक और सामाजिक बदलाव

कोलकाता का यह नया नाम अब एक आत्मसम्मान और स्थानीय पहचान का प्रतीक बन चुका है। इससे यह संदेश गया कि बंगालियों को अपनी भाषा, संस्कृति और जड़ों पर गर्व है।

कलकत्ता जहां औपनिवेशिक इतिहास की याद दिलाता था, वहीं कोलकाता भारतीय पुनर्जागरण, बौद्धिक क्रांति और सामाजिक चेतना का पर्याय बन गया है।

इस बदलाव ने युवाओं को अपनी संस्कृति से जोड़ने में भी बड़ी भूमिका निभाई। आज कोलकाता न केवल एक मेट्रो सिटी है, बल्कि एक ऐसी जगह है जहाँ इतिहास और भविष्य एक साथ साँस लेते हैं

नाम में बदलाव का राजनीतिक पक्ष

जब भी किसी शहर के नाम में बदलाव होता है, तो उसके पीछे सिर्फ संस्कृति नहीं, बल्कि राजनीतिक रणनीति भी होती है। Calcutta से Kolkata का बदलाव भी कुछ ऐसा ही था – एक सांस्कृतिक जागरूकता और राजनीतिक इच्छाशक्ति का संगम।


भारतीय भाषाओं के अनुसार नामकरण

नाम बदलकर “कोलकाता” करने का पहला तर्क यही था कि यह नाम स्थानीय उच्चारण और बांग्ला भाषा के ज्यादा करीब है।

“Calcutta” अंग्रेजों द्वारा दिया गया नाम था, जो उनके उच्चारण के हिसाब से बना था। लेकिन Kolkata शब्द उस गांव के नाम से जुड़ा है, जहाँ से इस शहर की शुरुआत हुई थी – “Kalikata”, जो काली माता के मंदिर से संबंधित है।

इस तरह से नाम बदलना केवल भाषाई सही उच्चारण नहीं, बल्कि भारतीयता को प्राथमिकता देने का तरीका भी था।


ब्रिटिश प्रभाव से मुक्ति का संकेत

“कोलकाता” नाम अपनाना औपनिवेशिक मानसिकता से अलग हटकर, एक नए भारत की सोच को दिखाता है।

यह सिर्फ एक नाम का फेरबदल नहीं था, यह ब्रिटिश प्रभाव से सांस्कृतिक स्वतंत्रता की घोषणा थी।

ऐसे कई शहरों जैसे बॉम्बे से मुंबई, मद्रास से चेन्नई, और बैंगलोर से बेंगलुरु तक – इन नाम परिवर्तनों की लहर ने यह स्पष्ट किया कि भारत अब अपनी जड़ों से जुड़ना चाहता है।


Calcutta और Kolkata – लोकल लोगों की सोच क्या कहती है?

एक नाम को लेकर सोच सभी की अलग हो सकती है – खासकर जब वो नाम आपके इतिहास से जुड़ा हो। आइए देखें कि स्थानीय लोग – बुजुर्ग और युवा – इस बदलाव को कैसे देखते हैं।


बुजुर्गों की यादों में ‘कलकत्ता’

जो लोग ब्रिटिश काल या आज़ादी के कुछ सालों बाद के दौर से हैं, उनकी यादों में आज भी “कलकत्ता” ही बसा है।

उनके लिए “कलकत्ता” सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि पुरानी गलियों की खुशबू, हाथ रिक्शों की आवाज़, और बिना AC वाले सिनेमा हॉलों में देखी गई फिल्में हैं।

उनकी स्मृतियों में कलकत्ता एक भावनात्मक यात्रा है, जो नाम बदलने के बाद भी धुंधली नहीं हुई है।


युवाओं के लिए ‘कोलकाता’ का महत्व

वहीं आज की नई पीढ़ी “कोलकाता” के नाम से ही जुड़ाव रखती है। उनके लिए ये नाम सांस्कृतिक गर्व और बंगाली पहचान का प्रतीक है।

युवा इसे सिर्फ नाम नहीं, बल्कि एक नई सोच, स्थानीयता, और आत्मसम्मान के रूप में देखते हैं।

उनके लिए “कोलकाता” एक ऐसा नाम है जो उनकी मातृभाषा, संस्कृति और आधुनिक भारत का प्रतिनिधित्व करता है।


यात्रा और पर्यटन पर असर

शहर के नाम में बदलाव, खासकर जब वह ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध हो, तो यह टूरिज्म इंडस्ट्री पर भी असर डालता है। विदेशी पर्यटकों और यात्रियों की सोच इस बदलाव को कैसे देखती है?


क्या टूरिस्ट अब भी ‘Calcutta’ कहते हैं?

सच कहूँ तो, आज भी बहुत से विदेशी पर्यटक “Calcutta” शब्द का इस्तेमाल करते हैं। ऐसा इसलिए नहीं कि वे बदलाव नहीं जानते, बल्कि क्योंकि उनके गाइडबुक्स, फिल्मों और पुराने संदर्भों में यही नाम चलता आ रहा है।

लेकिन जब वे शहर में कदम रखते हैं, तो उन्हें “Kolkata” का नाम हर ओर दिखाई देता है – रेलवे स्टेशन से लेकर एयरपोर्ट, मैप्स से लेकर लोकल गाइड्स तक।

धीरे-धीरे वे भी इस नाम को स्वीकार करने लगे हैं, और कई बार इस बदलाव की कहानी जानने के लिए भी उत्सुक रहते हैं।


आधिकारिक दस्तावेज़ों में किस नाम का उपयोग होता है?

अब लगभग सभी सरकारी और प्रशासनिक दस्तावेजों में “Kolkata” ही उपयोग होता है।

चाहे वो पासपोर्ट, रेल टिकट, एयरलाइन बुकिंग, नक्शे, या सरकारी वेबसाइट हो – हर जगह Kolkata को ही आधिकारिक नाम माना जाता है।

इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार ने केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि पूरी तरह व्यावहारिक स्तर पर भी इस नाम को स्वीकार कर लिया है।

Media और Cinema में दोनों नामों का उपयोग

शहर के नाम भले ही बदले हों, लेकिन मीडिया और सिनेमा में इन नामों का प्रभाव अब भी जीवित है। कभी “Calcutta” इतिहास की कहानी सुनाता है, तो कभी “Kolkata” आज की सच्चाई बन जाता है।


पुरानी फिल्मों और गानों में ‘Calcutta’

अगर आपने कभी 60s और 70s की हिंदी फिल्में देखी हैं, तो आपने “कलकत्ता” नाम जरूर सुना होगा।

कई मशहूर फिल्मों जैसे ‘Howrah Bridge’ (1958), ‘Do Bigha Zamin’, और Calcutta Mail’ (2003) जैसी फिल्मों ने इस शहर को “Calcutta” के नाम से रोमांटिक, रहस्यमयी और व्यस्त शहर के रूप में दिखाया।

गानों में भी – “Calcutta की रातें…” जैसे शब्दों ने उस दौर की एक खास पहचान बनाई।

उन दिनों “कलकत्ता” केवल एक शहर नहीं, बल्कि भावनाओं, संघर्ष और संस्कृति का केंद्र था।


नई पीढ़ी की कला और साहित्य में ‘Kolkata’

अब जब युवा लेखक, फिल्मकार और कलाकार अपने विचार व्यक्त करते हैं, तो वो “Kolkata” नाम का ही प्रयोग करते हैं।

नई वेब सीरीज़, डॉक्यूमेंट्रीज़, और लोकल बंगाली फिल्मों में “Kolkata” का उपयोग स्थानीय गर्व के रूप में होता है।

यह नाम सिर्फ आधुनिक नहीं, बल्कि परंपरा से जुड़ी आधुनिकता का प्रतिनिधित्व करता है। आज का कोलकाता एक ऐसा शहर है जहाँ कालीघाट की पूजा, कॉलेज स्ट्रीट की किताबें और आईटी हब का संगम है।


भाषा और उच्चारण में फर्क

नाम का असली मतलब सिर्फ शब्दों में नहीं, बल्कि उसे बोलने और सुनने के अंदाज़ में छिपा होता है। चलिए समझते हैं कि Calcutta और Kolkata का उच्चारण कैसे फर्क पैदा करता है।


बंगाली में Kolkata और अंग्रेज़ी में Calcutta का प्रभाव

बंगाली लोग “Kolkata” को “कोल-का-ता” बोलते हैं – जिसमें भावना, ध्वनि और सांस्कृतिक जुड़ाव होता है। वहीं अंग्रेज़ी में “Calcutta” को “कैल-कटा” कहा जाता था, जो उस समय के ब्रिटिश उच्चारण का असर था।

एक ही शहर, लेकिन उच्चारण के इस फर्क ने संवेदना और पहचान के दो अलग-अलग चेहरे बना दिए।


Global audience के लिए क्या ज्यादा आसान है?

Global audience के लिए “Calcutta” नाम अधिक जाना-पहचाना है – खासकर पुरानी जनरेशन के लिए जिन्होंने किताबों, फिल्मों या न्यूज़ में इसी नाम को देखा-सुना है।

लेकिन “Kolkata” अब नए भारत का नाम है – इसलिए इंटरनेशनल मीडिया, एयरपोर्ट्स और ट्रैवल वेबसाइट्स अब “Kolkata” को प्रमोट कर रहे हैं।

धीरे-धीरे, global audience भी इस नाम को स्वीकार कर रही है, जैसे उन्होंने Mumbai और Chennai को किया।


व्यक्तिगत अनुभव: मुझे किस नाम से अपनापन महसूस होता है?

अब बात थोड़ी दिल की करते हैं। मेरे लिए यह बहस सिर्फ भाषा या उच्चारण की नहीं, बल्कि यादों और जुड़ाव की है।


बचपन में सुना ‘कलकत्ता’ और अब की ‘कोलकाता’

जब मैं छोटा था, घर के बड़े-बुज़ुर्ग “कलकत्ता” ही कहते थे। उनके लिए यह एक सपना था – नौकरी का शहर, पढ़ाई का ठिकाना, और कभी-कभी घर से दूर एक संघर्ष भी।

बचपन में जब रेडियो पर “कलकत्ता से प्रसारित समाचार” सुनता था, तो यह नाम कुछ खास लगता था – जैसे यह कोई बहुत बड़ा, रोशन और भीड़-भाड़ वाला शहर है।

अब जब मैं बड़ा हुआ और वहां रहने या घूमने का मौका मिला, तो “कोलकाता” नाम मेरे ज़हन में बस गया।


नाम बदलने से भावनाएं कैसे बदलीं?

शुरुआत में लगा कि नाम बदलने से शायद पहचान खो जाएगी। लेकिन धीरे-धीरे महसूस हुआ कि “कोलकाता” सिर्फ नया नाम नहीं, नए युग की सोच है।

अब जब मैं “कोलकाता” कहता हूँ, तो उसमें आधुनिकता, बंगाली संस्कृति, दुर्गा पूजा की रौनक, और सड़क किनारे की मिष्टी दोई की मिठास झलकती है।

मेरे लिए अब “कलकत्ता” यादों में है और “कोलकाता” मेरे आज और कल में। दोनों नाम मेरे लिए खास हैं – एक बीते कल की कहानी है, और दूसरा आगे बढ़ते भारत की पहचान।

Mumbai weather 2 1

निष्कर्ष

Calcutta और Kolkata – सिर्फ नाम नहीं, एक सोच का बदलाव

कहने को तो “Calcutta” और “Kolkata” एक ही शहर के दो नाम हैं, लेकिन अगर आप गहराई से सोचें, तो यह केवल एक नाम का फर्क नहीं, समय, समाज और सोच के बदलाव की कहानी है।

“Calcutta” हमें ब्रिटिश औपनिवेशिक दौर की याद दिलाता है – एक ऐसा समय जब भारत पर शासन किया जा रहा था, और इस शहर को प्रशासनिक, व्यापारिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में ढाला गया।

वहीं “Kolkata” उस नए भारत की पहचान है, जो अपनी संस्कृति, भाषा, इतिहास और आत्मसम्मान को गर्व से संजोता है। यह नाम अपने स्थानीयपन और भारतीयता के साथ आज की पीढ़ी को जुड़ाव महसूस कराता है।

मैंने जब “कलकत्ता” से “कोलकाता” का सफर देखा, तो जाना कि यह नामों का नहीं, बल्कि मूल्य और विरासत का ट्रांज़िशन है।

Calcutta मेरी दादी की कहानियों में ज़िंदा है, और Kolkata मेरी पीढ़ी के सपनों में।


FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)


Calcutta और Kolkata एक ही शहर हैं या अलग-अलग?

हाँ, Calcutta और Kolkata एक ही शहर हैं। “Calcutta” ब्रिटिश शासन काल में दिया गया नाम था और “Kolkata” इसका आधिकारिक नाम है जो 2001 में अपनाया गया। दोनों नाम एक ही भौगोलिक क्षेत्र को दर्शाते हैं।

नाम बदलने के पीछे क्या कारण था?

नाम बदलने का मुख्य कारण सांस्कृतिक और भाषाई पहचान को महत्व देना था। “Calcutta” अंग्रेज़ों द्वारा उच्चारण के अनुसार बना था, जबकि “Kolkata” बंगाली शब्द “Kolikata” से लिया गया है, जो शहर का पारंपरिक नाम था।

लोग अब भी Calcutta क्यों कहते हैं?

कई लोग, खासकर बुज़ुर्ग और विदेशियों, की जुबान पर आज भी “Calcutta” चढ़ा हुआ है क्योंकि उन्होंने वर्षों तक यही नाम सुना और इस्तेमाल किया है। इसके अलावा कुछ संस्थानों और दस्तावेज़ों में अभी भी “Calcutta” नाम बना हुआ है।

क्या नाम बदलने से शहर की पहचान भी बदली?

शहर की आत्मा वही रही, लेकिन नाम बदलने से उसकी प्रस्तुति, गर्व और स्थानीय जुड़ाव को नया रूप मिला। Kolkata अब सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि आधुनिकता और संस्कृति का मेल है।

क्या ‘Calcutta’ अब पूरी तरह अप्रचलित हो गया है?

नहीं, “Calcutta” नाम आज भी कुछ ऐतिहासिक सन्दर्भों, पुरानी फिल्मों, और विदेशी टूरिज़्म कंटेंट में देखने को मिल जाता है। लेकिन कानूनी, प्रशासनिक और शैक्षणिक रूप से अब “Kolkata” ही प्रचलित और आधिकारिक नाम है।


अगर आप भी कभी Kolkata जाएं, तो इस बात को महसूस कीजिए कि यह शहर सिर्फ नाम से नहीं, बल्कि अपनी आत्मा से भी जिंदा है – चाहे आप उसे Calcutta कहें या Kolkata।

Leave a Comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Scroll to Top
Join Telegram Channel